दोस्तो हम आपको इस पोस्ट मे बताने वाले है कि web 3.0 क्या है ? और इसके हमारी जिंदगी में क्या मायने है और यह कैसे आपकी जिंदगी पर असर डालेगा। आज हम जो भी जानकारी आपको देंगे उससे आपको web 3.0 के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नही पड़ेगी।
हम जब भी कोई न्यूज़ पढ़ते है तो हमे web 3.0 के बारे में कुछ ना कुछ देखने को मिल जाता है जैसे कि यह इंटरनेट की दुनिया में एक क्रांतिकारी तकनीक है।
Web 3.0 को जानने से पहले हमे इससे पहले के version वेब 1.0 और वेब 2.0 के बारे में जानना होगा और उनमे होने वाली समस्या के बारे में पता होना जानना पड़ेगा।
Web 1.0 ,web 2.0 और web 3.0 मे अंतर जानने के लिए सबसे पहले हमे इन तीनो के बारे मे जानना होगा की इन तीनो का काम करने का तरीका क्या है तो चलो हम आपको इन तीनो के बारे मे डिटेल से एक – एक करके समझते है।
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Contents
Web 1.0 का संक्षिप्त विवरण
Web 1.0 www(वर्ल्ड वाईड वेब) का पहला वर्जन है सिंपल भाषा मे बोले तो web 1.0 इंटरनेट की दुनिया में पहला कदम बोला जाए तो कोई सोचने की बात नही है।
जैसे जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ता गया वैसे वैसे www से लोगो की उम्मीदे भी बढ़ते चली गई यह html पर आधारित था।
Web 1.0 की खामियां
Web 1.0 में रीड ऑनली होता था मतलब इसमें केवल यूजर्स किसी आर्टिकल को पढ़ सकता था लेकिन अपनी प्रतिक्रिया नही दे सकते थे।
इसमें कुछ कमियां भी थी जैसे नेट की जो स्पीड मिलती थी वो बहुत कम थी उस समय बहुत कम लोग कंप्यूटर चलाना जानते थे तो इसको ठीक करना जरूरी था।
Web 2.0 का संक्षिप्त विवरण
Web 1.0 में आई खामियों को दूर करने के लिए web 2.0 को इस्तेमाल में लाया गया जिस प्रकार web 1.0 में हम केवल जानकारी ले सकते थे लेकिन इसमें हम इसके अलावा और भी बहुत कुछ कर सकते है.
जैसे हम कोई भी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते है और अपना डाटा आराम से इंटरनेट पर डाल सकते है web 2.0 में अगर कोई जानकारी लेनी हो तो आराम से हम उसको एक वर्ड के द्वारा प्राप्त कर सकते है
आज के टाइम में बहुत से विश्वविद्यालय इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है और हम जितने भी सोशल site देखते है ये सब इसी पर आधारित है.
आज के समय में लोग अपनी पोस्ट को इंटरनेट पर डालने के साथ साथ उस पर अपने रिएक्शन भी दे सकते है देखा जाए तो लोग इससे मिल रही सुविधा से संतुष्ट भी दिखाई देते है। लेकिन इसमें भी कुछ खामियां है यह java,phs, ssp पर आधारित है।
Web 2.0 की खामिया
वैसे तो web 2.0 ने हमे लोगो से जुड़ने के लिए बहुत सी सुविधाएं प्रदान की है जैसे facebook,Google,Instagram से हम पूरी दुनियां से जुड़ सकते है लेकिन खामियों की बात करें तो इसमें लोगों को सबसे बड़ा डर अपनी की सुरक्षा को लेकर होता है.
आज बड़ी बड़ी कंपनियां हमारे डाटा का प्रयोग अपने फायदे के लिए कर रही है इससे सबसे ज्यादा फायदा इन कंपनियों को हुआ है।
ये कंपनियां जहां अपने प्लेटफॉर्म को फ्री मे इस्तेमाल करने को देती है लेकिन हमसे बहुत से डाटा का एक्सेस मांग लेती है और इसके पास हमारा सारा डाटा चला जाता है.
इस डाटा का प्रयोग ये अपने ads चलाने में करते है हम देखते भी होंगे की जो कुछ हम सर्च करते है हमे उससे संबंधित ads आने लग जाते है।
Web 3.0 क्या है? (What is Web 3.0 in Hindi)
Web 3.0 पूरी तरह से ब्लॉकचेन पर आधारित है इसमें यूजर का डाटा किसी server पर स्टोर ना होकर यूजर के कंप्यूटर में स्टोर रहेगा web 3.0 में डाटा छोटे छोटे ब्लॉक में बटा हुआ रहेगा जिससे अगर कोई एक ब्लॉक को करप्ट भी करदे तो बाकी ब्लॉक मिलकर डाटा इनकर्प्ट कर देगे और यूज़र का डाटा चोरी होने से बच जाएगा
web 3.0 एक प्रपोज टर्म है इसका प्रयोग इंटेलिजेंस ब्राउजिंग में किया जाएगा इस तरह ब्राउजिंग में बहुत से परिवर्तन किए जाएंगे वैसे तो अभी तक वेब 3.0 के बारे में कुछ डिफाइन नहीं किया गया है लेकिन बहुत सी कंपनियां अभी web 3.0 पर काम कर रही है जैसे आपने देखा होगा फेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा रख लिया है इसी प्रकार गूगल भी वह 3.0 पर काम कर रही है।
वेब 3.0 पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है इसमें यूजर जो कुछ भी सर्च करेगा वह A I पर निर्भर होगा वैसे तो web 3.0 पूरी तरह से डिफाइन नहीं हुआ है लेकिन जो कंपनियां इसको इस्तेमाल कर रही है उनको देखते हुए हम इसके कुछ उदाहरण दे सकते हैं।
Web 3.0 कंपनियों को कैसे प्रभावित करेगा।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई यूज़र किसी चीज को सर्च करता है तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा उस यूजर को वही जानकारी दी जाएगी जो वह देखना चाहता है।
जैसे अगर कोई यूजर कोई भी योजना जैसे प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के बारे में सर्च करेगा तो उसको इस योजना के बारे में सारी डिटेल मिल जाएगी और अगर दूसरा व्यक्ति सिर्फ प्रधानमंत्री लिखता है तो एआई उसको सिर्फ प्रधानमंत्री के बारे में ही रिजल्ट देगी
अब 3.0 का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आप की जानकारी को कोई इंटरनेट से मिटा नहीं सकता और इस पर किसी का नियंत्रण नहीं होगा।
आजकल गूगल और फेसबुक इस तकनीक का इस्तेमाल तो कर रहे हैं लेकिन अभी इसमें बहुत से सुधार होने बाकी है और भविष्य में हमें इस तकनीक को अच्छे से देखने को मिलेगा।
वेब 3.0 के उदाहरण
Google assistant and Apple Siri (गूगल एसिस्टेंट और एप्पल सिरी) – गूगल असिस्टेंट और एप्पल सिरी दोनों ही वॉइस रिकॉग्नाइजिंग सॉफ्टवेयर है जो हमारी आवाज को पहचान कर AI के माध्यम से हमें नतीजे प्रदान करता है।
वॉइस रिकॉग्नाइज भी एक वेब 3.0 का उदाहरण है जिसके माध्यम से हम मशीनों से बातें कर सकते हैं।
Wolfram alpha- wolfram alpha एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर आप कोई भी सवाल पूछ सकते हैं और इसका आपको जवाब बड़ी ही सटीकता से मिलता है।
wolfram alpha वेब 3.0 का इस्तेमाल करके डाटा को एकत्रित करता है और आपको सटीक जवाब देता है।
Web 3.0 क्रिप्टो के नाम।
Web 3.0 क्रिप्टो को जाने से पहले हमें cryoto के बारे में जानना होगा क्रिप्टो करेंसी एक ब्लॉकचेन पर आधारित तक तकनीक है सिंपल भाषा में बोला जाए तो यह ऐसी टेक्नोलॉजी है जिस पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है।
उदाहरण के तौर पर इसको कोई भी सरकार नियंत्रण नहीं कर सकती।
आज के टाइम में क्रिप्टो करेंसी का प्रयोग पूरे विश्व में अपनाया जाने लगा है बहुत से देशों में तो क्रिप्टो का यूज़ वस्तु को खरीदने भी किया जा रहा है क्रिप्टो करेंसी में भी समय के साथ अपनी तकनीक में सुधार हो रहा है।
बहुत से क्रिप्टो वेब 3.0 पर काम कर रहे हैं जोकि भविष्य की तकनीक है तो चलो हम कुछ ऐसे web 3.0 crypto के उदाहरण बताते हैं
- Helium (HNT)
- Flux (Flux)
- Polkadot (Dot)
- Filecoin (Fil)
- Bit Torrent (Btt) etc
अगर आप और भी web 3.0 crypto के बारे में जाना चाहते हैं तो हम इस पर एक पूरी डिटेल से एक ब्लॉग लाने वाले हैं।
वीडियो के माध्यम से जाने।
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- ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है? इसके काम, फायदे और उपयोग
- NFT क्या है ? कैसे काम करता है? 2023 | NFT kya hai In Hindi
- Decentralized क्या होता है? अर्थ व परिभाषा।
- Metaverse क्या है – Metaverse Kya Hai In Hindi
निष्कर्ष :-
वैसे तो वेब 3.0 पर काम चल रहा है लेकिन इसके पूरी तरह से कार्य मे आने में अभी भी 10 साल का समय और लग सकता है अभी इसको लेकर ज्यादा बाते किसी को भी नही पता है और ज्यादातर अवधारण है।
इस लेख में हमने web 3.0 क्या है? इसके बारे में तो जानकारी दी है साथ ही web 2.0 और www के बारे में भी बताया है।
Web 1.0 का मतलब क्या है और कब शुरू हुआ ?
Web 1.0 ka मतलब normal Static website है और यह सन 1980 में सामने आया। इसमें आप केवल text को भेज या पढ़ सकते थे अपनी राय नही दे सकते थे।
वेब 3.0 क्या है और इसकी विशेषताएं?
यह ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसमें आपके डाटा को नोड्स के अंदर स्टोर कारण=के रखा जाता है जिसको हैक करना नामुमकिन है।
वेब 3.0 क्या है इसके उपयोग क्या है?
Web 3.0 एक Decentralzied पर आधारित सिस्टम है जो Blockchain Technology पर काम करता है। इसका उपयोग यूजर के डाटा को सुरक्षित करने में किया जाता है।
Web 3.0 की जरूरत क्यों पड़ी ?
आजकल जिस प्रकार कम्पनी हमारे डाटा को लालच में third party को बेच देती है इससे हमारे डाटा को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसकी जरुरत पड़ी।
वेब 2.0 कब बना?
इसको पहली बार सन 2004 में introduce किया गया था। यह World Wide Web के second-generation को refer करता है।
वेब 3.0 के उदाहरण?
Web3 नेटवर्क में बहुत सी क्रिप्टो जैसे एथेरियम, सोलाना, पॉलीगॉन आदि शामिल हैं।
1 thought on “Web 3.0 क्या है ? जाने भविष्य के इंटरनेट के बारें में।”